1 लाख की सरकारी सहायता के लिए आत्महत्या करनी पड़ रही है किसान को, क्या करे अनदाता मूक दर्शक बनी सरकार देख रही तमाशा

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लाइव देवभूमि भारत संवाददाता महाराष्ट्र –

सिर्फ 3 महीनों में महाराष्ट्र में सैंकड़ों किसानों ने की आत्महत्या कितना त्रस्त है अनदाता। ओर पूंजीपतियों के करोड़ों के कर्ज माफ कर रही है सरकार …..

किसान हर दिन कर्ज़ में और गहराई तक डूब रहा है – बीज महंगे हैं, खाद महंगी है, डीज़ल महंगा है.. लेकिन MSP की कोई गारंटी नहीं। जब वो कर्ज़ माफ़ी की मांग करते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज़ कर दिया जाता है।

लेकिन जिनके पास करोड़ों हैं? उनके कर्जों को मोदी सरकार आराम से माफ कर देती है।

सरकार कहती है कि किसानों की आमदनी दोगुनी करेंगे पर कैसे यह आज तक समझ नहीं आया..

कितना मजबूर है किसान की एक 1 लाख की सरकारी सहायता के लिए उसे आत्महत्या करनी पड़ रही है…. वो भी उसे नहीं मिल पा रही

ये सरकारी ताना बाना किसानों को मार रहा है, और तमाशा देख रहे है सरकारें।

राहत और पुनर्वास मंत्री महाराष्ट्र मकरंद पाटिल ने अपने जवाब में ये भी बताया कि मदद के लिए पात्र  कुछ मामलों में मामलों में किसानों के उत्तराधिकारियों को वित्तीय सहायता दे दी गई है. पर सेकडो अभी बाकी है जिनकी जांच चल रही है महाराष्ट्र सरकार आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है.

 

महाराष्ट्र के  विदर्भ इलाके में इतने बड़े स्तर पर किसानों आत्महत्या करने के मामले पर गूंगी है सरकार रोक क्यों नहीं पा रही आर्थिक सहायता मरने से पहले क्यों नहीं मिल पा रही किसान को सोचने का विषय है

 

सहायता राशि बढ़ाने की मांग

अपोजिशन विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार पर किसानों को समय पर मदद नहीं पहुंचा पाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कई पात्र किसानों को मामूली कारणों के आधार पर सहायता से वंचित कर दिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने मृत किसानों के परिवारों को दी जाने वाली 1 लाख रुपये की सहायता राशि बढ़ाए जाने की मांग की है. हर साल आत्महत्या के मामलों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।

 

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